इस किनारे पर हम थे उस किनारे पर वो मिलने की आस थी , पर दुर था किनारा एक टक देख , लिये थी मिलने की आस आज लहरें भी थी शांत मिलन को देखने के लिये जमाने की थी नजर हमारे ओर मिलन की आस मे चल पडे किनारे से लहरों की ओर .....
इस पीपे के पुल का दर्शन बहुत गहरा बैठता है मेरे भाई ! एक बार लिखा था इस पर, मौका मिले तो पढ़ना । चित्र तो उस वक्त गूगल से उड़ाया था, तुम तो थे ही नहीं न कैमरे के साथ ।
इस पीपे के पुल का दर्शन बहुत गहरा बैठता है मेरे भाई ! एक बार लिखा था इस पर, मौका मिले तो पढ़ना ।
ReplyDeleteचित्र तो उस वक्त गूगल से उड़ाया था, तुम तो थे ही नहीं न कैमरे के साथ ।
बहुत बढ़िया.
ReplyDeletebahut sundar or khas hai photo.dekhte he nazar vahi apalak rah jaye ,shresth hai kala aapki/
ReplyDeleteबहुत बढिया!!
ReplyDeleteLaajwaab kar diya.
ReplyDeletewaah!
ReplyDeletebahut hi man-bhaati tasveer hai ..aur saath likhi panktiyan bhi!
Laajwaab kar diya.
ReplyDelete