Wednesday, December 30, 2009

दो दिल



दो दिल हारे
अपनो से
एक बिछ्डा
दुजे के लिए
एक थी आस
आने की उनकी
न वे आये
न आया सन्देश
आये तो लेकिन
दुजे के साथ
दो दिल हारे
अपनो से .....

4 comments:

  1. उम्दा!!


    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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  2. दिल पंखुड़ियों सा होता ही है | आभार | इस चित्र से अपने हेडर का जुगाड कर लिया है | अखिलं मधुरम देखो |

    चित्र तो सुन्दर है ही |

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  3. रचना सुन्दर है । शुभकामनायें मेरी आज की पोस्ट मे तुम भी शामिल हो । आशीर्वाद

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  4. रचना सुन्दर है । शुभकामनायें

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