Thursday, November 5, 2009

दिलजला



दिल जला
मानों आत्मा जली
हलचल हुयी
दिलो दिमाग में
कुछ खोया-खोया सा लगा
मन न तो यहाँ है
न वहाँ नही
अपने तो छोड चले
बेगानो को क्या कहे
हम तो न चाहते थे छोडना
वे साथ छोड चले
वे कहते है कि हम दिलजले है......



7 comments:

  1. बहुत बढ़िया, धीरज!

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  2. दिया जला कि दिल जला या दिया जैसा दिल जला । कुछ साफ करो भाई ।

    ई वाला भी चित्र लगा ही दिये ! खैर, जौन तोहार मरजी ।

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  3. आपने बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है! बहुत बढ़िया लगा! दिल को छू गई आपकी ये रचना !

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  4. are tunna bhaiya hamhu ke e blag slag sikha deta t hamhu sabke maisjva bhejal karti samjhla.achcha jayda guru sikh jaeb.aaur btava.ka hal chal h.jammu jat hae.khub badiya photo khech ke liyaeb t toke deb.achcha namskar.tohar chot bhae kishan.

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