Friday, October 30, 2009

अंजान



अंजान है रास्ता , अंजना है सफर , अनजाने लोग , अंजान है हमसफर ,फिर भी निकल पड़ा हु |
आगे
पहचाना रास्ता मिला , मंजिल मिला , पहचाने लोग मिले , हमसफर मिला ,
पर
मेरी पहचान न मिली ...........

Wednesday, October 28, 2009

मूसाफिर हु यारो



मुसाफिर हु यारो, बस चलना है काम , न घर है ना ठिकाना,
जहाँ रात हुयी वही ठिकाना, जो बोले मीठे बोल वही है याराना,
मुसाफिर हु यारो, बस चलना है काम

Tuesday, October 27, 2009

अकेला



आज अकेला हुँ , कल के साथ के लिए ,आज मै एक कदम चला, दो कदम साथ के लिये,
मंजिल दुर है , साथ तो चलो दो कदम।

Monday, October 26, 2009

भागमभाग



आज जिन्दगी मे भागमभाग लगी है, हर कोई भाग रहा है , भागमभाग से जीवन के मायने बदल गये है ,
रिश्तो के मतलब बदल गये है , लोग एक दुसरो को पीछे करने के लिये भाग रहे है , कब तक भागेगे ,
कभी तो थकेगे , उस समय तो समय ठहर जायेगा ।

Sunday, October 25, 2009

उगा हो सूरज बाबा अरगीय के बेरा









मेरे कसबे के डाला छठ का चित्र

शहर



आँगन छुटा, गलियां छुटी
छुटे सब संग - साथ
हम से हुयी थी क्या खता
हम हुए बेगाने अपने शहर मे और
शहर ने हमें काफिर बना डाला

ग़मों से दूर तक रिश्ता न था
हम बसा रहे थे अपनी दुनिया
अमन वालों ने ही जला डाली दुनिया
लुट डाली हया और आँखे हमारी
शहर ने हमें काफिर बना डाला

हुयी आंखे सूनी , सुना हुआ गोद
सूनी है आज गलियां और सड़क
अमन वाले बैठे देख रहे थे तमाशा
मना रहे है जश्न आज लाशो पर
शहर ने हमें काफिर बना डाला

उन्हें होश नही कि जलेगी उनकी भी दुनिया
जिसने हमें काफिर बना डाला .........................

Saturday, October 17, 2009

दीपो वाली रात



गुम हुई आज अंधेरी रात
रोशन हुआ अँधेरा
आज आयी है दीपो वाली रात
लेकर रोशनी की बरात
बाराती बने हम
बाती बनी है दुल्हन
दिया बना घर
उजाले ने दिया साथ तो
रोशन हुआ घर - आँगन
आज आयी है दीपो वाली रात