
आँगन छुटा, गलियां छुटी
छुटे सब संग - साथ
हम से हुयी थी क्या खता
हम हुए बेगाने अपने शहर मे और
शहर ने हमें काफिर बना डाला
ग़मों से दूर तक रिश्ता न था
हम बसा रहे थे अपनी दुनिया
अमन वालों ने ही जला डाली दुनिया
लुट डाली हया और आँखे हमारी
शहर ने हमें काफिर बना डाला
हुयी आंखे सूनी , सुना हुआ गोद
सूनी है आज गलियां और सड़क
अमन वाले बैठे देख रहे थे तमाशा
मना रहे है जश्न आज लाशो पर
शहर ने हमें काफिर बना डाला
उन्हें होश नही कि जलेगी उनकी भी दुनिया
जिसने हमें काफिर बना डाला .........................
उन्हें होश नही कि जलेगी उनकी भी दुनिया
ReplyDeleteजिसने हमें काफिर बना डाला .........................
आग भडकाओगे तो तुम्हारा दामन भी तो जलेगा.
हुयी आंखे सूनी , सुना हुआ गोद
ReplyDeleteसूनी है आज गलियां और सड़क
अमन वाले बैठे देख रहे थे तमाशा
मना रहे है जश्न आज लाशो पर
शहर ने हमें काफिर बना डाला
चलो अब गाँव चलें-वो भी हमे याद करता है-बहुत सुंदर आभार
वाह !! बहुत बढ़िया .
ReplyDeletekisaki painting hai yah ? adabhut .
ReplyDeletethanks.
काबिलेतारीफ बेहतरीन
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