Tuesday, October 27, 2009

अकेला



आज अकेला हुँ , कल के साथ के लिए ,आज मै एक कदम चला, दो कदम साथ के लिये,
मंजिल दुर है , साथ तो चलो दो कदम।

5 comments:

  1. वाह बहुत सुन्दर और प्रेरक आशीर्वाद्

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  2. सिर्फ दो कदम क्‍यों

    मजबूत 400 कदम क्‍यों नहीं

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  3. बेहद खुब्सूरत है आपका अन्दाज !

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