Monday, June 22, 2009

ख्वाब



ख्वाब
देखा, कल रात
मैने इक सपना
वो हकीकत था या सपना
मै खुद समझ नही पाया
वो आयी और चली गयी
सुहाने सपने देकर
मै ढुढता रहा
लेकिन वो चली गयी
वो सपने से
देखा, कल रात
मैने इक सपना...

5 comments:

  1. इस चित्र को ख्वाब बना दिया ? ख्वाब है क्या ? ख्वाब ही होगा !

    सुन्दर चित्र । अमूर्त सा ।

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  2. sapna dekhte rahiye...sapne bhi sach hote hai

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  3. आप के चित्र व शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं बधाई ।
    श्याम सखा ‘श्याम’
    ‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......’
    इस गज़ल को पूरा पढें यहां
    श्याम सखा ‘श्याम’

    http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
    http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें

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  4. अच्छे चित्र हैं मित्र आपके। मेरा तो पहली बार ही आना हो रहा है आपके ब्लाग पर। आगे आना जाना बना ही रहेगा। मेरी शुभकामनाएं।

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  5. वाह वाह क्या बात है! बहुत ही उम्दा रचना और साथ ही बहुत सुंदर चित्र!

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