बचपन का मौजपन
दुनिया से बेखबर
लडकपन का जोश
अपनी उमंगो की रवानी
युवा होने की खुमारी
लोगो से आगे निकलने का जोश
प्रौढ होने पर
अपनी और लोगो की जिम्मेदारी
बुढापा , लोगो का ताना
इच्छा मर जाने की
पर
मृत्यु भी न आयी बुलाने पर
आये तो महाकाल
थके हारे शरीर को लेने
मृत्यु का सत्य बताने ।
यही सत्य है..
ReplyDeleteजीवन-जगत का अंतिम सत्य तो यही है न मित्र ! स्वीकार करने का भाव विकसित करना होगा हमें ।
ReplyDeleteकैसे कहें कि चित्र सुन्दर है?
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.... भावपूर्ण रचना है।बधाई स्वीकारें।कभी मेरे ब्लॉग पर भी पधारें !!
ReplyDeletebahut badhiya....khoob likha hai aapne
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा! जब इस दुनिया में जन्म लिए है तब मृत्यु भी अनिवार्य है! इसी का नाम ही ज़िन्दगी है!
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