Sunday, June 21, 2009

मृत्यु



बचपन का मौजपन
दुनिया से बेखबर
लडकपन का जोश
अपनी उमंगो की रवानी
युवा होने की खुमारी
लोगो से आगे निकलने का जोश
प्रौढ होने पर
अपनी और लोगो की जिम्मेदारी
बुढापा , लोगो का ताना
इच्छा मर जाने की
पर
मृत्यु भी न आयी बुलाने पर
आये तो महाकाल
थके हारे शरीर को लेने
मृत्यु का सत्य बताने ।

5 comments:

  1. जीवन-जगत का अंतिम सत्य तो यही है न मित्र ! स्वीकार करने का भाव विकसित करना होगा हमें ।
    कैसे कहें कि चित्र सुन्दर है?

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.... भावपूर्ण रचना है।बधाई स्वीकारें।कभी मेरे ब्लॉग पर भी पधारें !!

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  3. bahut badhiya....khoob likha hai aapne

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  4. बहुत अच्छा लगा! जब इस दुनिया में जन्म लिए है तब मृत्यु भी अनिवार्य है! इसी का नाम ही ज़िन्दगी है!

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