Friday, June 19, 2009

डुबता सुरज



डुबता सुरज
देख
उडते मन ने कहा
क्यो क्या हुआ
जो सोचा था आज,

कुछ करुगा आज नया
पर मन ने कुछ करने न दिया
इस ठहरे शरीर को

और दिन ढल गया
कुछ भी ना हुआ
फिर जागी, नयी आशा , नये सबेरे के साथ .....

5 comments:

  1. बहुत प्यारी सी फोटो है
    शांत और सौम्य
    मन मोह लिया मेरा
    ..........और कविता बहुत भोली सी है

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  2. बहुत प्यारी फोटो..

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  3. बहुत ख़ूबसूरत और प्यारी कविता लिखा है आपने और साथ में सुंदर तस्वीर! लिखते रहिये!

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  4. bahut pyari kavita likha hai aapne janab

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  5. डूब रहा सूरज डूब ही गया है । शेष रह गया है उसका सारथी अरुण । चित्र खूबसूरत है ।

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