चला था मै साथ उनके राह में राह ही लम्बी निकली कुछ दुर चल कर वह राह मे ही बिछड गये खामोश राह मे मै कुछ दुर चला उनकी यादों के साथ मै चला पर कुछ दुर ही चला और तन ने साथ छोड दिया
नार्मल ही रहिए!अधिक सम्वेदनशील बनने से दिक्कत होती है,दिल हर कदम पर टूटता रह्ता है और टूटे दिल से हसने मे भी दिक्कत होती है..वैसे यह दॄश्य तो आपके शब्दो का साथ नही देता कहते है कि दिल मे दुख हो तो बाहर भी दु:ख ही दिखता है,मुझे भी आपकी मनोदशा कुछ ऐसी ही लगती है.......
अरे यार, बैठा तो है कोई साइकिल पर ।
ReplyDeleteऔर इतनी सुन्दर फोटो के साथ इतने संवेदनशील होने की क्या जरूरत ? मस्त रहो ।
हिमाँशू जी सही कह रहे हैं । वैसे फोतो कमाल की होती है हमेशा ही बहुत बहुत आशीर्वाद और अगली पोस्ट सकारात्मक हो
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteलिखते रहें।
सही है.. बि +
ReplyDeleteअत्यन्त सुंदर कविता और फोटो भी बहुत अच्छी है!
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteनार्मल ही रहिए!अधिक सम्वेदनशील बनने से दिक्कत होती है,दिल हर कदम पर टूटता रह्ता है और टूटे दिल से हसने मे भी दिक्कत होती है..वैसे यह दॄश्य तो आपके शब्दो का साथ नही देता कहते है कि दिल मे दुख हो तो बाहर भी दु:ख ही दिखता है,मुझे भी आपकी मनोदशा कुछ ऐसी ही लगती है.......
ReplyDeleteBahut sundar bhaav hain. Badhaayi.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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'विज्ञान' पर पढ़िए: शैवाल ही भविष्य का ईंधन है!
सुंदर कविता और फोटो
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