Saturday, August 29, 2009

पहचान



थोडा अपना सा कुछ बेगाना सा
कुछ पहचाना सा कुछ अन्जाना सा
थोडा भोला सा कुछ दिवाना सा
कुछ ऐसा है हम सफर मेरा
इक अजनबी , जाना - पहचाना सा ।

13 comments:

  1. इतना भी क्या बेगाना बनाना। वैसे बेहतरीन।

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  2. खूबसूरत चित्र । ढूँढ़-ढूँढ़ कर ला रहे हैं चित्र । आभार ।

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  3. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
    ---
    तख़लीक़-ए-नज़र

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  4. सुन्दर चित्र ...........सुन्दर प्रस्तुति

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  5. वाह वाह क्या बात है ! बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने बेहतरीन तस्वीर के साथ! मुझे बेहद पसंद आया!

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  6. Sunder blog....khoobsoorat rachana....oomda pictures ka collection.... Badhai...

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  7. Sunder chitr aur bhawbheeni kawita. blog sajja bhee manbhawan.

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  8. http://apakeliye.blogspot.com/September 8, 2009 at 7:12 AM

    एक अच्छी छोती कविता के लिये धन्यवाद...
    चित्र तो यमुना जी का लग रहा है...
    प्रेमरस में डूबना अच्छा लग रहा.....

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  9. वाह बहुत खूब अच्छा लगा बहुत बहुत शुभकामनायें और आशीर्वाद हां तस्वीरें बहुत सुन्दर हैं अब इसी तरह की कवितायें लिखते रहो

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  10. छोटी सी ......हल्की सी ......अच्छी सी बात ....चित्र की भावना के बिलकुल तारतम्य में ....चित्र बड़ा प्यारा है ......आपने खुद लिया है या .....

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  11. आपके नए पोस्ट का इंतज़ार है! मेरे इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com

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  12. एक अच्छी कविता के लिये धन्यवाद...

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