Friday, August 28, 2009

रिश्ता



आज मुलाकात हुयी लहरों से
उसने हमसे पुछा
हमारी पहचान क्या है आप से
हमारा रिश्ता क्या है आप से
तो मन मे उठी हलचल
सच मे हमारा क्या रिश्ता है
हम तो रोज आते है किनारों पर
हमने तो ना सोचा था
क्या रिश्ता है आप से
आज मन की डोर हो गई कमजोर
हम रिश्तो का नाम न दे पा रहे है
हम तो आये थे किनारे मौज मानाने
उन्होंने ने तो रिश्तो की डोर बना ली
अब तो रिश्तो की डोर थामने से डर लगता है
कही ये रिश्ते मैले न हो जाय
उन्होंने ने तो रिश्ता बनाया था दिल का
और हम कहते है की रिश्ता क्या है
आज फिर लहरों ने पुछा
क्या रिश्ता है हमारा

6 comments:

  1. बेहतर।कहीं से कोई कमी नहीं।

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  2. जबरदस्त भाई..अच्छा लिख रहे है!!

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  3. इन रिश्तों को कोई नाम ना दो ..!!

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  4. धीरज जी बहुत सुन्दर आज तो दिल की फोटो ग्राफी कर दी बडिया रचना है बधाई

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  5. behtarin dhiraj bhai ,badhai ho is sundar rachana ke liye

    -----eksacchai {AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

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