Saturday, August 1, 2009

नजारे


आज हसीन शाम थी
नजारे भी हसीन थे
मय भी था, मयखाना भी
सारे मदहोश थे
कोई गम मे था
कोई खुशी मे
सारे पीये जा रहे थे
इस जश्न मे सबके हाथ मे थे प्याले
आज सभी थे मतवाले
इस हसीन शाम मे ।

8 comments:

  1. नीरज भाई, बहुत हसीन शाम है...मैंने कभी मय तो नहीं चखी, लेकिन आपकी खूबसूरत लाइनों ने मयखाने की तस्वीर आंखों के सामने रख दी।

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  2. यह चित्र का ही प्रभाव है कि धीरज से नीरज हो गये हो । बाकी सब ठीक है । सुन्दर चित्र ।

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  3. चार सुंदर लाइनों से ही नशा भर दिया आपने अपने बेहतर प्रस्तुति से..धन्यवाद!!

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  4. वाह क्या बात है! बहुत खूब!

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  5. बेहतर प्रस्तुति ....

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